Love

Love
Love is a symbol of eternity. It wipes out all sense of time,destroying all memory of a beginning and all fear of an end.

Tuesday, February 7, 2023

Basoda मतलब बासी खाना

यह व्रत होली के आठवें दिन होता है जिसे बसोडा भी कहते है. सप्तमी के दिन यथा स्थिति पकवान बनाते है।  मानते हैं की इस दिन भोजन नहीं बनाया जाता बासी खाने को देवी का भोग लगा कर भोग को प्रसाद के रूप में लिया जाता हैं.  इसी वजह से इसे बसोडा कहतें हैं.

जिस दिन की होली मनाई जाती हैं उसी दिन का बसोडा होता हैं.   अगर बासी खाना संभव नहीं हो पाता है तो बासी खाने से मुँह विटार कर मतलब जूठा कर ताज़ा भोजन कर सकते हैं. माता को भोग में पूरी सब्ज़ी, पुआ व् रात को बनाए मीठे चावल या हलुआ चढ़ाएं. इसमें घर में पूजन करके खाने का व् पूजा का सामान घर के बाहर चौराहा पर रखते हैं.

•     पूजा की थाली तैयार में शीतला माता की एक मिटटी की मूर्ती रखे फिर एक लाल वस्त्र उनको पहनाये. आटे से बना दीपक, रोली, मोली और मेहंदी रखे.  थाली में पुआ, मीठेचावल, नमक पारेऔर मठरी जो भी संभव हो रखे

•     थाली के साथ लोटे में जल रखे । माता की पूजा कर दीपक को विना जलाए ही मंदिर में रखें और माता को सभी चीज़े चढ़ानेके बाद खुद और घर के सभी सदस्यों को टीका लगाएं।

•     घर में पूजा करने के बाद अब मंदिर में पूजा कर। मंदिर में पहले माता को जल चढ़ाएं. रोली और रोली का टीका कर मेहंदी, मोली  अर्पित कर। आटेके दीपक को विना जलाए अर्पित कर अंत में वापस जल चढ़ाएं और थोड़ा जल बचाएं। इसे घर के सभी सदस्य आंखों पर लगाएं और थोड़ा जल घर के हर हिस्से में छिड़के इसके बाद चौराहे पर पूजा कर। थोड़ा जल चढ़ाएं और पूजन सामग्री चढ़ाएं। घर आनेके बाद पानी रखनेकी जगह पर पूजा कर। अगर पूजन सामग्री बच जाए तो गाय को दे।

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Friday, January 27, 2023

Pind Daan at Gaya Ji

Pitra Rin is a karmic debt received from our ancestors, what we enjoy in the form of name, fame, reputation, and wealth.  Then what we owe from them, must be paid this debt called Pitra Rin in the form of Pind Daan.  

Pind Daan at Gaya ji has great importance in the Hindu religion and the way of Moksha and mukti from the rebirth and death cycle. We too planned with our family to visit Gaya ji. But visiting during Pitra Paksha in Gaya ji is very difficult since it is heavily crowded, and all the Pandas are busy with rituals. You will not get much attention to the puja you are performing and will be in a hurry basis.

Puja / pind daan at Gaya ji can be done during the whole year at your convenience. But it is said Amavasya day is very good to do Pind Daan and to offer homage to our ancestors (departed soul) who have left us for their heavenly adobe.

Therefore, we planned and reached Gaya Ji at 4:00 am in the morning (Amavasya) by Rajdhani from Delhi.  We booked our Pandit ji (Panda) from Delhi itself.  Yes, Hotels are a bit problematic in Gaya ji.  Not many good hotels or stay, restaurant, or shopping area is available in Gaya ji in fact it is not a developed city, and staying in Bodh Gaya is a little bit far away.

We were looking for a hotel in Gaya ji itself that does not serve non-veg but could not find any. In Gaya ji 99% of hotels are non-vegetarian even after having importance of Pind Daan culture and its belief in Sattvic realities.  Our Panda ji booked one small hotel for us near the place.  He picked us up from the Railway Station and took us to the hotel. Where we took bath, freshen up and changed our clothes, and were ready for the Puja. It is required to wear a holy traditional dress during this puja.  Pind Daan is generally performed by the elder male member of the family but in some cases, women are also allowed.  According to manyata mata Sita performed this puja for Raja Dasharatha in the absence of Lord Rama.

Our Panda ji again came up to the Hotel and took us to the Falgu River filled with abundant water with the effort of the Bihar Government, and performed puja. Falgu river flows in the heart of Gaya ji and its significant offering is Pind at its bank.  All the puja Samagri was provided by our Panda ji only.  Even then, we took ourselves rice, barley flour for pind daan, and new clothes for offering Pandit ji to receive blessings from him. Pind is made from rice and barley flour in a circular form like a ball and is offered to the departed soul by relatives. Panda ji performed puja at Falgu river offering rice, jaggery, sweets, etc. in the middle of chanting all the mantras.

It is believed that 43 vedis in Gaya ji are covered during the pind daan process. Puja is regarded as the most appropriate time till the afternoon only.

Our Second puja destination was Vishnu Pad very famous Temple for people to offer pind daan. This temple has footprints of Lord Vishnu.  Our Panda took an auto rickshaw and took us to the temple. Local transportation here is mainly auto rickshaws.  The taxi is not much popular, it seems. The roads are very bad.

We performed our pind daan puja at Vishnu Pad, Mangala Gauri Shrine, Pret-Shila, and Akshay Vat tree. Akshay Vat tree is an amazingly large tree with no dead leaves. It is believed that those who do their pind daan here, their ancestors go straight to Devlok.  

To visit Gaya ji for the pind daan purpose, we must have two days in hand.  One day will be quite short because puja is only performed in the daytime. Pain daan brings success, peace, and prosperity, receives a blessing from the soul, and positively influences one’s life.

As far as cost and expenses are concerned, it all depends, on different expenses you can keep in mind as it varies with your personal individual needs.

1st will be your mode of transport from your home to Gaya ji and vice-versa like by Air, Rail, Taxi, or bus.  Then your local transportation in Gaya ji, your accommodation expenses, Food expenses, and Puja expenses.  And last bhojan offering to Brahmins.

 We paid our Panda Ji 11,000/- while leaving after full puja and during performing pind daan at every stage and paid him roughly 1100 and 2100 at all places. This may vary to one’s requirement.

 There are different packages also available, they can ask for like Pind Daan, Akal Mrityu, or Tripindi Puja and they perform some other puja too and charges are accordingly.

 We were very comfortably ready to come back to Delhi the next night after spending two days in Gaya ji, fully satisfied with our pind daan puja. Our Panda ji helped us in dropping at the station and catching the train on time. We really thanked him for all the services he arranged for us.  We could not go to Bodh Gaya ji, since Bodh Mandir closes in the evening.

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Wednesday, January 11, 2023

शादी की तैयारी,बजट कैसे तैयार करें :

आज के समय में विवाह एक सबसे बड़ा खर्चा मानी जाती हैं इसलिए सबसे पहले शादी के लिए एक बजट जरुर बनायें | किस चीज में कितना खर्च करना चाहते हैं इसका एक रफ़ हिसाब बना लें  | जैसे : शादी का खर्च, गहने एवम कपड़ो का खर्च और देने वाले गिफ्ट्स का खर्च, किसको कितना देना है। 

शादी के रीती रिवाज़ों का समय निश्श्चित करें: आप किन रीती रिवाज से शादी करेंगे, विवाह के सभी फंक्शन कितने दिनों में होने हैं

•     सबसे पहले अपने पंडित को बुलाकर शादी की तारीख तय करें | शादी की जगह / शादी हॉल / गार्डन / होटल तय करें, शादी के कितने दिन का फंक्शन होना हैं, यह सब पहले से ही तय करलें जिससे की मुताबिक जगह मिल सकें ठीक प्राइस में वार्ना सब कुछ ही फीका सा फीका लगने लगता है।

•     मेहमानों की लिस्ट बनाये किस किस को बुलाना हैं और कौन कौन शहर के बाहर से आने वाले हैं फिर सबको फोन से सूचित करे | और उन्हें अपने टिकट बुक करने के लिए कहे | साथ ही उनसे उनके आने एवं जाने की तारीख और समय भी पुछले विणा किसी हिचकिचाहट के ताकि आप उनके रहने का उचित इंतज़ाम कर सके।

•     अगर आपको बारात शहर से बहार लेकर जाना हैं तो ट्रेन / बस/ एयर टिकट बुकिंग करवाये शादी के समय में बहुत भीड़ होने कारण कंफर्म टिकट मिलना मुश्किल हैं |इसके अलावा अगर आपको बस, कार आदि से जाना हैं तो उसकी बुकिंग भी टाइम पर करें | अगर लोकल है तो आसपास की जगह का बंदोवस्त करें। लास्ट मोमेंट के लिए कुछ भी न छोड़ें

•     शॉपिंग की तैयारी की सबसे पहले लिस्ट बनाये जिसमे मेंहमानों को देने वाले गिफ्ट की लिस्ट बनाये और उसके हिसाब से खरीदना शुरू करें |

2.    आपमें व् परिवार के सदस्यों के कपड़ो व्की ज्वेलरी की लिस्ट बनाये | कब क्या पहनना हैं और कितने ड्रेस आपको चाहिए क्यूंकि कपड़ो को सिलवाना हैं तो उसमे काफी टाइम लग सकता हैं इसलिए समय से ही बजट के मुताबिक तय करें इससे फिजूल खर्च नहीं होगा व् समय भी बचेगा |

•     विवाह - मेन्यु (विभिन्न अवसरों पर): यह सब आपको सबसे पहले यह तय करना होगा कि आपको कितने दिनों के लिये खाना बनवाना हैं और उसमे कितने टाइम का भोजन एवम नाश्ता देना हैं | उसके हिसाब से ही मेन्यु लिस्ट तैयार करें | मौसम का ध्यान रखे क्योंकि गर्मी के मौसम का मेन्यु एवम ठंड के मौसम के मेन्यु में बहुत अंतर होता हैं उसे ध्यान में रखकर ही मेनू बनाये | और इन सब के लिए किस कुक को पहले ही तैयार करके रखना है। 

शादी के कार्ड : शादी से दो महीने पूर्व कार्ड तैयार करवा ले और पोस्ट से भेजने वाले कार्ड तुरंत भेज दे लेकिन शहर के बाहर के मेहमानों को फोन अथवा मेल मैसेज या व्हाट्सप्प द्वारा इन्फॉर्म जरुर करें | कार्ड की सॉफ्ट कॉपी सभी को मेल के जरिये भेजे क्यूंकि कार्ड टाइम पर मिले या नहीं इसकी जिम्मेदारी कोई नहीं ले सकता |

घर के अन्य सदस्यों या रिश्तेदारों के साथ शादी के एक महीने पहले से ही कार्ड बांटना शुरू कर दे व् फोन पर भी सम्पर्क करके उन्हें इनवाईट करें इससे आपका समय बचेगा और फोन कॉल करने से गेस्ट को भी अचछा गेगा |

शादी की तारीख के नजदीक आने पर घर के सभी लोग शादी के सभी कार्यों को आपस में बाँट ले और समय-समय पर आपस में हर जिम्मेदारी के बारे में पूछे ताकि वाद में किसी भी होने वाली परेशानी से वचा जा सकें|

•     गेस्ट के ठहरने की बुकिंग कर लें कोशिश करें रहने की जगह विवाह स्थल से ज्यादा दूर नहीं होनी चाहिए। ये सब कहीं नोट कर लें ताकि वाद में ढूढ़ना न पड़।

•     अपने सभी गेस्ट से संपर्क करके तय करें कि वो किस दिन, कितने बजे आयेंगे ताकि उसी के हिसाब से उन्हें रिसीव करने की उचित व्यवस्था कर सकें | यह कार्य अपने किसी नजदीकी को ही सौंप। 

•     शादी की पूजा संबंधी सभी आयोजनों की निर्धारित सभी सामग्री तैयार करके एक साथ पैक करे | कोशिश करें पूजा सामग्री का पैकेट हर नियत आयोजनों के हिसाब से हर पैकेट अलग वन लें ताकि बाद में ढूढ़ना न पड़े। यह बहुत हे ज़रूरी है और यह सारा सामान घर की किसी अपनी बुजुर्ग महिला के सुपुर्द करवा दें जिनकी उपस्थिति घर के लगभग सभी फंक्शन्स में हो।  

 

विवाह सम्बंधित सभी कार्यक्रमों की एक लिस्ट वना कर सबका समय व् जगह निर्धारित करें और उसमे किस किस सामान की व् पूजा सामग्री की जरूरत पड़ेगी और उसे कौन कौन अटेंड करेगा।

•     शादी के समय जब आप पूजा में बैठ चुके हैं तब रस्म के नाम का पैकेट ले कर बैठे। 

•     शादी के पहले ही समय से अपना एवम परिवारजनों का पैकेट तैयार कर ले | किस रस्म में कब क्या पहनना हैं उसे उसका ध्यान रखते हुए पैकिंग कर एक बेग में इकट्ठा कर ले | खास तौर पर दूल्हा एवम दुल्हन की सभी तैयारी ध्यान से करें |

•     शादी की सभी रस्मो की लिस्ट बनाकर आपस में शेयर कर लें ताकि सभी को समय का पता होगा जिससे रस्म समय पर शुरू हो सके |

•     विवाह के दिन में सभी अपने खास परिवार जनो को गेस्ट को अटेंड करने का काम पहले ही सौंप दे उनके रहने के हिसाब से उन्हें कहाँ भेजना हैं कितने बजे भोजन एवम ब्रेक फ़ास्ट, चाय आदि की व्यवस्था हैं यह सब जानकारी अपने मेहमानों को जरुर दे | शादी में मेहमानों का ध्यान रखना भी अहम् हैं

•     शादी की प्रत्येक रस्म के लिए पहले ही खुद तैयार रहे तभी आप यह उम्मीद अपने मेहमानों से कर पाएंगे | सभी कार्य भी समय पर हो पाएंगे |

•     शादी के गिफ्ट्स एवम लिफाफे आदि के लिए पहले से खाली बेग तैयार रखे और इसकी जिम्मेदारी किसी विश्वसनीय एवम अपने जिम्मेदार व्यक्ति को द। 

•     शादी के बाद जब गेस्ट अपने घर जाते हैं तो उनका शगुन का लिफाफा व् भाजी  पहले से ही तैयार करके उनके नाम के साथ रखे और उनके जाने के समय उन्हें दे | शहर के बाहर के गेस्ट को साथ में भोजन पैक करके दे उसे प्रॉपर पैकिंग में ही दे ताकि उन्हें रखने में परेशानी ना हो |

•     विवाह स्थल पर जाने से पहले घर में भरोसेमंद व्यक्ति को छोड़ कर जाएँ ताकि जब आप अपने घर वापस बहु को लेकर आएं तो घर आपको स्वच्छ मिले और घर खुला मिले वेलकम के लिये।   


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Description of some wedding rituals

रतजगा  - थापा मांडना

यह दूल्हा और दुल्हन दोनों के घरों की रस्म है। इस रसम में, पवित्र आकृतियों जैसे स्वास्तिक आदि को दीवारों या फर्श पर या सफेद लकड़ी के तख्तों पर हाथ से चित्रित किया जाता है। इन आकृतियों और प्रतीकों के चारों ओर पूजा की सामग्री वाले मिट्टी के बर्तन और बर्तन रखे जाते हैं। यह एक खुशी के मौके से पहले बुरी ताकतों को भगाने और परिवार में शांति स्थापित करने के लिए किया जाता है।

थंब पूजा: आजकल, यह एक खोई हुई रस्म लगती है।

यह एक रस्म है जो शादी के दिन सुबह जल्दी होती है। दूल्हे के घर का पुजारी दुल्हन के घर पहुंचता है और घर के खंभों की पूजा करता है। इसे 'थंब पूजा' कहा जाता है और यह रसम इस बात की प्रतीक है कि दोनों परिवारों के बीच का बंधन घर की नींव जितना मजबूत होगा।।

यह एक ऐसी रसम है है जहां दुल्हन के परिवार द्वारा देवी पार्वती के आशीर्वाद की पूजा उन्ही के घर पर की जाती है। जिसे गौर पूजा के नाम से भी जाना जाता है। देवी को अलंकृत करने के लिए वस्त्र और आभूषण दूल्हे के परिवार द्वारा भेजे जाते हैं। वे दुल्हन के लिए कपड़े और आभूषण भी भेजते हैं।

कोराथ

बनिया शादियों में, यह रसम एक पहचान के रूप में होती है। दुल्हन के परिवार के पुरुष बुजुर्ग अपने पुजारी के साथ दूल्हे और उसके परिवार को विवाह स्थल पर आमंत्रित करने के लिए उसके घर जाते हैं। यह सांकेतिक भाव दुल्हन के परिवार द्वारा बारात (दूल्हे के परिवार और दोस्तों) के आयोजन स्थल के लिए निकलने से ठीक पहले दूल्हे की ओर बढ़ाया जाता है, क्योंकि इस दिन से, वह दुल्हन के परिवार का एक महत्वपूर्ण सदस्य होगा।

पुजारी, दुल्हन के परिवार के साथ यात्रा करते हुए दूल्हे को शादी के निमंत्रण कार्ड की पूजा करवाता है। कुछ और रीति-रिवाज भी हैं जिनका पालन किया जाता है। बदले में, दूल्हे का परिवार दुल्हन की तरफ से पंडितजी को एक सांकेतिक राशि प्रदान करेगा और मेहमानों को स्नैक्स और पेय पदार्थ भी परोसेगा।

इसके बाद बारात विवाह स्थल के लिए रवाना होने के लिए तैयार हो जाती है.

NIKASI

बारात के दूल्हे के घर से निकलने से पहले कुछ रस्में होती हैं जिसे हम निकासी कहते है। घोड़ी (घोड़ी), जिस पर दूल्हा सवार होता है, उसकी  पुजारी पूजा करता है। इसके बाद मां अपने बेटे को चम्मच  से मूंग, चावल, चीनी और घी का मिश्रण खिलाती है या जो भी प्रथा हो । साथ ही घोड़ी को खाना खिलाया जाता है और परिवार की सभी विवाहित महिलाओं को पुरुष बच्चों के साथ भी साड़ी भेंट की जाती है। दूल्हा अपने दोस्तों और रिश्तेदारों की बारात को कार्यक्रम स्थल तक ले जाता है। बाराती अक्सर नाचते और गाते हैं या संगीतमय बैंड के साथ होते हैं।

BARAAT - VARMALA

दूल्हा और उसके साथी विवाह स्थल पर पहुंचते हैं  दुल्हन के पिता और अन्य सदस्य सभी बाराती का स्वागत करने के लिए प्रवेश द्वार पर माला के साथ खड़े होते हैं। दूल्हे को 'तोरण' को स्पर्श करना होता है, जिसे वधू पक्ष का कोई व्यक्ति स्वागत द्वार पर नीम की छड़ी से रखता है। कुछ  शादियों में, दुल्हन की माँ दूल्हे को उसके घोड़े से उतरने से पहले लड्डू खिलाती है।

दूल्हे के घोड़ी से उतरने के बाद उसकी मां दूल्हे का अभिषेक करके उसका स्वागत करती है और दुल्हन की भाभी दूल्हे के कंधे पर नीम की छड़ी से स्पर्श करती है।

इसके बाद दूल्हा और उसकी बारात परिसर में प्रवेश करते हैं।

GATHBANDHAN

यह एक रस्म है जिसमें दूल्हे की कमर में  बंधे वस्त्र को दुल्हन के की चुनरी में बांधा जाता है। इसके बाद इसे दूल्हे के कंधे पर रखा जाता है।  इसे बांधने का मतलब है कि दोनों एक हो गए हैं।

KANYADAAN

यह एक ऐसी रसम है जिसमें दुल्हन का पिता उसे दूल्हे को सौंप देता है और उससे अपनी जिम्मेदारी लेने के लिए कहता है। दुल्हन भी अपने ससुराल के परिवार को अपना मानती है और उनकी वंशावली और उपनाम को अपना मानती है। वह यह भी स्वीकार करती है कि उसके पति के परिवार की सभी समस्याएं उसकी हैं और हमेशा उनकी प्रतिष्ठा को बनाए रखने और उन्हें खुश और आरामदायक महसूस कराने के लिए सब कुछ करने का वचन देती हैं।

PANIGRAHAN SANSKAR

हिंदी  में, 'पानी' का अर्थ है हाथ और 'ग्रहण' का अर्थ है स्वीकार करना। तो, इस शब्द के शाब्दिक अनुवाद का अर्थ है अपना हाथ अपने हाथों में लेना। दुल्हन का हाथ दूल्हे के हाथ में दिया जाता है। यह दूल्हे द्वारा दुल्हन की जिम्मेदारी लेने के साथ-साथ दोनों के मन और शरीर के एकीकरण का प्रतीक है।

SAPTAPADI/ PHERE

अग्रवाल शादियों में, दूल्हा और दुल्हन 7 बार पवित्र विवाह की वेदी के चक्कर लगाते हैं। पहले तीन फेरों या 'फेरों' के लिए, दुल्हन आगे रहती है और अगले चार फेरे में दूल्हा आगे रहता है।

प्रत्येक चक्कर के साथ, होने वाला जोड़ा एक गंभीर विवाह प्रतिज्ञा लेता है, जिसे वे अपने शेष जीवन के लिए पूरा करने की उम्मीद करते हैं। यह एक वैदिक कर्मकांड है। इस रस्म के बाद दूल्हा-दुल्हन को पति-पत्नी माना जाता है। सात फेरे से पहले मंडप में दुल्हन दूल्हे के दाहिनी ओर बैठती है। लेकिन इस रस्म के बाद दूल्हा दुल्हन से अपनी बाईं ओर बैठने का अनुरोध करता है और अपना दाहिना हाथ दुल्हन के दिल पर रखता है। और वह दुल्हन को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करता है।

SUMANGALIKA-SINDOOR DAAN

सात फेरों के बाद, दूल्हा दुल्हन के माथे पर सिंदूर लगाता है सिंदूर एक महिला की वैवाहिक स्थिति की बड़ी पहचान है। इसके बाद नवविवाहित जोड़ा उत्तर तारे की ओर मुंह करके खड़ा हो जाता है और अपने पूरे वैवाहिक जीवन में उत्तर तारे की तरह स्थिर और अडिग रहने का संकल्प लेता है।

ASHIRVAD

पवित्र अग्नि के फेरे के बाद, दोनों पक्षों के पुजारी और बुजुर्ग वर और वधू को आनंदमय, कलह-मुक्त विवाह के लिए आशीर्वाद देते हैं। दूल्हे के परिवार भी आशीर्वाद देते है कि नई पत्नी पति के घर में समृद्धि और सौभाग्य लाएगी। 

JOOTA CHUPAI

मंडप में प्रवेश करने से पहले दूल्हा अपने जूते उतार देता है। मंडप से बाहर निकलने पर उसे अपने जूते नहीं मिलते क्योंकि दुल्हन के भाई, चचेरे भाई और दोस्तों ने उसे पहले ही छिपा दिया होता है । दूल्हे को दुल्हन की बहनों और चचेरे भाइयों के गिरोह के साथ सौदेबाजी करनी पड़ती है और बदले में एक राशि तय करनी पड़ती है जिसके लिए उसके जूते वापस कर दिए जाते हैं। यह एक बहुत ही आनंददायक रसम है और दोनों पक्षों के बीच जमकर सौदेबाजी देखने लायक होती है। यह बिल्कुल मजेदार रसम है

THAPE KI POOJA and MOOHDIKHAI

मंडप से बाहर आने के बाद, दूल्हा दुल्हन को उस कमरे में ले जाया जाता है जिसमें सुबह थापा को खींचा गया था। फिर दुल्हन की तरफ से एक बुजुर्ग महिला उनसे थापा की पूजा करवाती है। दूल्हे से कुछ छंद सुने जाते हैं, और फिर दूल्हे को गिफ्ट दिया जाता है और दुल्हन को ध्रुव तारे को देखने के लिए कहा जाता है।

इसके बाद दुल्हन की मां और घर की सबसे बड़ी महिला दुल्हन के चेहरे से पर्दा उठाती है और उसका चेहरा देखती है। इसके बाद, वे दुल्हन को टोकन उपहार देते हैं

SIRGUTHI

यह प्रथा अब थोड़ी खो थी जा रही है  पहले के ज़माने में दिन भर के तनाव के बाद दुल्हन थक जाती थी और वह बदहवास हालत में रहती थी। तो उसे फिर से अच्छा और तरोताजा दिखाने के लिए, माँ या कोई अन्य बुजुर्ग महिला उसके बालों में कंघी करती, चेहरा धोती और ताज़ा श्रृंगार करती। लेकिन इन दिनों दुल्हन पर प्रोफेशनल मेकअप आर्टिस्ट और स्टाइलिस्ट का इतना ज्यादा मेकअप किया जाता है कि लुक से छेड़छाड़ किए बिना उन्हें आसानी से उतारा नहीं जा सकता। तो, बस परंपरा का पालन करने के लिए, उसके बालों को हल्के से कंघा किया जाता है या उसके चेहरे को हल्के से से पोंछा जाता है।

SAJAN GOT (DINNER)

सजन गोट - बनिया विवाह में यह खास तौर से आयोजित की जाती है  आमतौर पर  परंपरा के अनुसार दूल्हे की तरफ के बड़ों के बैठने की विशेष व्यवस्था की जाती है जिसमे उन्हें पारंपरिक व्यंजन  बड़े ही मन मनुहार कर परोसे जाते हैं। दुल्हन के पिता और अन्य पुरुष सदस्य व् घर की महिलाएँ उनकी खास देखभाल व्क ध्यान करते हैं। उनका विशेष सत्कार किया जाता है। लेकिन 'सजन गोट' के खाने से पहले, 'छुटा' (मृत बड़ों के लिए एक हिस्सा) को बाहर निकालना पड़ता है।

जुआ खिलाई

नए युगल को एक बुजुर्ग महिला, आम तौर पर मामी द्वारा बहुत सारे खेल खेलने के लिए कहा जाता है। नए सदस्य को घर के नए माहौल में एडजस्ट करने के लिए क्या जाता है  कुछ बहुत ही रोचक और मजेदार खेल खेले जाते हैं जहाँ दूल्हा और दुल्हन एक दूसरे के खिलाफ प्रतिस्पर्धी के रूप में खड़े होते हैं। यह एक ऐसी रसम है जो नए  युगल को टेस्ट करता है और यह भी कि वे एक-दूसरे के साथ कितना अच्छा व्यवहार करते हैं और वैवाहिक जीवन की मांगों को भी। यह दुल्हन के घर में शादी के बाद सुबह होता है।  और दूल्हे के घर अगले दिन। जब वे खेल खेलते हैं तो दर्शक जोड़े को घेर लेते हैं और लगातार उन्हें छेड़ते हैं और मज़ाक उड़ाते हैं।

विदाई-पहरवनी

पहरावनी से पहले, दुल्हन पक्ष के पुजारी नवविवाहित जोड़े को रसोई में या उस स्थान पर ले जाते हैं जहाँ शादी के लिए खाना बनाया गया है और उन्हें कुछ रसम करवाते हैं।

पहरावनी के दौरान, दुल्हन के परिवार के सदस्य अपने दामाद को एक नारियल और 'नेग' पैसे भेंट करते हैं। इसके बाद, दूल्हे को एक घड़ी/बटन भेंट की जाती है और उसके कंधे को भी शॉल पहनाया जाता है। दूल्हे के पिता/दादा को भी शॉल भेंट की जाती है। पंडित (पुजारी) जो शादी की रस्मों में शामिल होते हैं, उन्हें दूल्हे के परिवार द्वारा 'दक्षिणा' दी जाती है।

फिर दूल्हा-दुल्हन को दही, चूरमा खाने को दिया जाता है। फिर जोड़े को रसोई में ले जाया जाता है और उन्हें रसोई के प्रवेश द्वार पर 'थाली पूजा' करने के लिए कहा जाता है। रसोई की चौखट पर पर 'स्वास्तिक' बनाया जाता है और स्वास्तिक पर पूजा के लिए चढ़ाए जाने वाले सेवई का पैसा भी रखा जाता है। दुल्हन के परिवार की सबसे बड़ी महिला सदस्य इस समारोह में उनका मार्गदर्शन करती है।

दुल्हन को आधा सूखा नारियल भी दिया जाता है जिसमें चीनी और सोने का सिक्का भरा होता है। दूल्हे के परिवार के घर पहुंचने पर वह इसे अपनी सास को देती है।

दुल्हन और उसके परिवार के सदस्यों की आंखों में आंसू आ जाते हैं क्योंकि वह अपने घर से निकलने के लिए कार में प्रवेश करती है। यह बहुत ही मर्मस्पर्शी क्षण है 

बारात के साथ कार दूल्हे के परिवार के घर के लिए रवाना होती है। लेकिन विवाहित महिलाएं, विशेष रूप से भाभी, बहनें और दूल्हे की मां बारात से पहले लौट आती हैं क्योंकि उन्हें दुल्हन को फ़ोयर में रिसीव करना होता है।

बहू आगमन

यह दूल्हे के घर में की जाने वाली एक महत्वपूर्ण रस्म है। इस समारोह का महत्व इस तथ्य में निहित है कि दुल्हन पहली बार 'अपने घर' (अब से) में प्रवेश कर रही है। यह विशेष स्वागत के योग्य है।  कई रस्में हैं जिनका पालन किया जाता है।

लेकिन दूल्हे को अपनी नवविवाहित पत्नी के साथ अपने घर में प्रवेश करने से पहले, उसकी बहनें और भाभी प्रवेश द्वार पर पहरा देती हैं। वे उसे बताते हैं कि वे उसे अपनी पत्नी के साथ तभी प्रवेश करने देंगे जब वह उन्हें उपहार और पैसा देगा। सौदेबाजी शुरू होती है और कुछ देर तक चलती है। दूल्हे के मान लेने के बाद ही उसे प्रवेश करने दिया जाता है।

दूल्हे की बहन या बुआ 'आरती' करती हैं और दुल्हन के माथे पर अभिषेक भी करती हैं। इसके बाद दुल्हन को पांच कदम चलकर चावल और सिक्कों से भरे पात्र को पलटना होता है। यह परिवार में उर्वरता और समृद्धि का प्रतीक है। उसे अपने पैरों को लाल रंग के एक कंटेनर में डुबाने के लिए कहा जाता है और फिर उसके पैर के निशान को एक सफेद कपड़े पर ले लिया जाता है जिसे बाद में सुरक्षित रूप से रख दिया जाता है।

इसके बाद जोड़े को थापा के कमरे में ले जाया जाता है। 6 स्टील की प्लेटें जिन्हें थाली कहा जाता है और एक कटोरी को एक पंक्ति में रखा जाता है। दूल्हा  प्लेटों को थोड़ा सा हिलाता है। दुल्हन नीचे झुकती है और एक के बाद एक थाल उठाती है और एक के ऊपर एक रख देती है। लेकिन मजे की बात यह है कि उसे सावधान रहने के लिए कहा जाता है कि प्लेटें जमा करते समय कोई आवाज न हो। अंत में उसे थालियों का ढेर अपनी सास को सौंपना होता है। ऐसा माना जाता है कि अगर वह थालियां लगाते समय कोई शोर करती है, तो परिवार में कलह होती है।

इसके बाद वधू को घी और गुड़ का स्पर्श करना है। दूल्हे का पिता दुल्हन को पैसे की थैली छूता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इससे परिवार में समृद्धि आती है। दूल्हा और दुल्हन थापा के कमरे में दिया भी जलाते हैं। तत्पश्चात युगल को 'मूह-मीठा' के लिए मिठाइयां दी जाती हैं। अंत में दूल्हे का सेहरा और दुल्हन का घूंघट हटा दिया जाता है

देवी देवता पूजन - यह एक पूजा है जो बहू अगमन समारोह के अगले दिन दूल्हा और दुल्हन द्वारा की जाती है।  इस दिन घर के सभी सदस्य नै बहु और लड़के के साथ कुलदेवी के मंदिर जाते हैं बहा पूजा कर कन्याओं को जिमाते है।  पंडित को दान दक्षिणा देते हैं व् वर बधु भगवन का और पंडित जी से आशीर्वाद ले कर अपने नए जीवन की शुरुआत करते हैं

SIRGUTHI, SUHAAGTHAL CHOODA PEHENANA and PAGA-LAGNI

दूल्हे के घर में एक बार फिर सिरगुथी की रस्म होती है। हालांकि इस बार दूल्हे और बहनों आदि की भाभी दुल्हन का श्रृंगार करती हैं और उसके बालों में कंघी भी करती हैं। इसके बाद दुल्हन को 'चूड़ा' या लाख की चूड़ियां, हरी चूड़ियां पहनाई जाती हैं, जो इस बात की गवाही देती हैं कि वह शादीशुदा है।  अब उसे औपचारिक रूप से दूल्हे के सदस्यों, रिश्तेदारों और दोस्तों से मिलने के लिए तैयार माना जाता है और वह अपना घूंघट उठाती है और मुँह दिखाई होती है। वह परिवार में बड़ों के पैर छूती हैं और उनका आशीर्वाद लेती हैं। 

पग फेरा - जिसमें दुल्हन अपने पिता के घर से लौटती है। वहाँ उसके रिश्तेदार और दोस्त उससे मिलते हैं और उसके नए घर में उसके अनुभव के बारे में पूछते हैं, उसके पति और ससुराल वालों और उसके दोस्तों के बारे में, रात के बारे में कुछ चुटकुले भी सुनाते हैं जब वह अपने पति के साथ अपनी शादी को पूरा करती है।

शाम को दूल्हा अपनी पत्नी को वापस अपने घर लाने के लिए अपनी ससुराल पहुंचता है। दूल्हे का जबरदस्त आतिथ्य के साथ स्वागत किया जाता है और जब दुल्हन अपने पिता का घर छोड़ती है, तो वह अपने ससुराल वालों के लिए ढेर सारे उपहार लेकर जाती है।


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Basoda मतलब बासी खाना

यह व्रत होली के आठवें दिन होता है जिसे बसोडा भी कहते है. सप्तमी के दिन यथा स्थिति पकवान बनाते है।  मानते हैं की इस दिन भोजन नहीं बनाया जाता ...