Love

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Love is a symbol of eternity. It wipes out all sense of time,destroying all memory of a beginning and all fear of an end.

Thursday, March 4, 2021

तेलवान : TEL-BAAN

तेलवान का सामान १ कँगना ५ पाले मिटटी के : १ में रोली, १ में मेहंदी, १ में दही, १ में तेल, १ में हल्दी, दूर्वा १ बधाई लिफाफा १ उबटना : उपटन बनाने के लिए 3 चम्मच हल्दी पाउडर, 3 चम्मच दूध, 3 चम्मच बेसन एवं कुछ बूंदे गुलाब जल की डालें १ साड़ी - गेंद चंदोया (फॉर दाहिनी) थोड़ा सा सूखा आटा आरते की थाली : १ दिया, रोली, चावल, नमक, राई चंदेवा का समान :- सवा दो मीटर लाल कपड़े या लाल साड़ी (गेंद चंदोया), धनिया, राई, पैसे, सुपारी, हल्दी की गांठ, मीठी सुहाली, गूंजा, मरोड़ा, पूड़ा, पूड़ी, खेकड़ी डालते हैं। सुबह के समय थापे रखकर उस पर साड़ी रखते हैं। बाकी सब सामान आरते वाली को जाता हैं। इस सब में हल्दी की गाँठ, सुपारी और दूध कलावा डालते हैं और पैसे डालते हैं। मटके में सात खेकड़ी या पूड़ी डालते हैं। दोपहर को बान होता है। चौक पूरकर उस पर पट्टा बिछाकर उस के नीचे चावल गुड़ रख कर पट्टा पर लड़के या लड़की को बिठाते हैं। पटडे़ में कलावा बांधते हैं। तेल-बान के लिए सभी सामग्रियों थाल में रखकर उसमें घी, तेल, दूध, दही, हल्दी, मेंहदी, रोली को अलग-अलग मिट्टी के बने कटोरे में रखा जाता है, फिर उसमे दूर्वा को डुबाकर उसे दूल्हा या दुल्हन के पांव से लेकर सिर तक यानि तेल चढ़ाते समय दूँब से रोली ,मेहंदी, दही, और तेल को छुआ के पाँव घुटना, हाथ,कन्धा और सिर तक सात बार दोनों हाथो से सुहागन द्वारा चढ़ाया जाता ह। इस विधि को तेल चढ़ाना कहते है। घर के सदस्य, रिश्तेदार आदि ‘बान’ देते जिस तरह से सात फेरे और सात बचन होते हैं उसी तरह से बाना भी सात ही दिए जाते हैं। बिंदायक के रूप में बग़ल में एक छोटा लड़का बिठाया जाता है। किसी परिवार में कन्या के दादा ,ताऊ,पिता, आदि भी तेल चढ़ाने की रसम पूरी करते है । वेसे तो तेल ग़ौर पूजाएँ से पहले उतारा है। लेकिन समय के अभाव के होते हुए लोग उसी समय ही तेल उतारने की रस्म को पूरी कर देते है। तेल चढ़ाने के बाद झोल की रस्म होतीं है। इसमें सात सुहागन कन्या के सिर पर दही लगाती है। करुआ से दही वाला जल पिता सात बार झोल के रूप डालता है और माता सिर मसलती है। माँ सात बार टोली लगाती है। साथ लड़कियाँ भी ऊबटन लगाती है। बाद में भाभी,चाची लड़की के शरीर से ऊबटन उतारतीं है। उसके बाद कन्या नहाने जाती है। ‘बान’ अमूमन ओखली के पास दिए जाते हैं। दूल्हा या दुल्हन को चौकी पर बिठाया जाता है। पांच कन्याएं ओखली में सभी चीजों को कूटती हैं। सबसे पहले पंडित जी बान देते हैं। उसके बाद पांचों कन्याएं तथा बाद में मां —पिता, घर के अन्य सदस्य, रिश्तेदार। बान देते समय महिलाएं मंगल गीत गाती हैं। हल्दी के बाद जीजा —साली, देवर —भाभी आदि के बीच खूब हंसी ठिठोली भी चलती है। एक दूसरे पर हल्दी लगाकर शादी के समय को खुशगवार बनाया जाता है। इस दौरान गीत भी गाएं जाते हैं। नहाने के बाद लड़की को पाटे पेर बिठाकर करके चंददेवा रखा जाता है जिसे लड़कियां उसके सिर पर (गुलाबी रंग के साड़ी) के चारों छोरों को पकड़ कर चंदवा तानती हैं। और माँ बहन तिलक कर आरती करती है। अपने आँचल से चार बार छूती है। मामा चाचा भाई शगुन देके उसे गोदी में उठाकर उतारते है। तेल चढ़ाने के बाद दूल्हा दुल्हन के दाएँ हाथ में मौळी को बंट कर बनाया गया एक मोटा डोरा बांधा जाता है, इसमें लाख, कौड़ी और लोहे के छले डालकर बांधा जाता है। इसे कंगना कहते हैं जो की आजकल बाजार में बहुत खूबसूरत आसानी से बने बनाये मिल जाते हैं विवाह सम्पन्न होने के बाद वर के घर में वर-वधू एक दूसरे के कंगना खोलते हैं दूल्हा दुल्हन तेलवान के बाद स्नान करते हैं। स्नान के बाद मामा उनको पाटा उतारता है। उस समय पाटे के पास पाले मिटटी के रखकर उसको एक पैर से फोड़ा जाता है। पाटा उतार कर मामा गोद में लेकर दूल्हा दुल्हन को मांडे के नीचे छोड़ता है और दूल्हे को निकास के लिए बैठाता है। weddingrituals.blogspot.in

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Neera

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