वर को दूल्हा
बनाकर गाजे-बाजे
के साथ मंगलगान
गाकर घोड़ी या
रथ पर बिठाकर
दुल्हन लिवाने के
लिए बारात के
साथ भेजा जाता
है। इस रीत को निकासी
कहते है।
सर्वप्रथम वर को सम्पूर्ण नए वस्त्र पहनाकर वर के जीजा/दोस्त वर का शृगांर करते हैं। टाई, पगड़ी, कलंगी, साफा, सेहरा बाधंते हैं। गद्दे/गलीचे पर बिठाया जाता है। कमर में गुलाबी कपड़ा (फेंटा) षगुन के सामान के साथ बांध्ाा जाता है। बहन मूंग बखेरती है, भाई घोड़ी पर बैठने के बाद बहन व बुआ को साड़ी ओढ़ाता है। घोड़ी को चने की दाल खिलाई जाती है।
दूल्हा अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ कार्यक्रम स्थल तक जाता है। बाराती संगीत बैंड के साथ नाचते और गाते हैं
- बारात के दूल्हे के घर से निकलने से पहले कुछ रस्में होती हैं जिसे हम निकासी कहते है। घोड़ी जिस पर दूल्हा सवार होता है, उसकी पुजारी पूजा करता है। इसके बाद मां अपने बेटे को चम्मच से मूंग, चावल, चीनी और घी का मिश्रण खिलाती है या जो भी प्रथा हो । परिवार की सभी विवाहित महिलाओं को पुरुष बच्चों के भी भेंट दी जाती है।
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Neera