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Saturday, March 6, 2021
Holi = छोटी होली
होली का त्यौहार दो दिनों तक मनाया जाता है। पहले दिन को जलानेवाली होली के रूप में जाना जाता है - इस दिन को छोटी होली और होलिका दहन के रूप में भी जाना जाता है।
दूसरे दिन को रंगवाली होली के रूप में जाना जाता है - वह दिन जब लोग रंगीन पाउडर और रंगीन पानी से खेलते हैं। रंगवाली होली जो मुख्य होली दिवस है, उसे धुलंडी या धुलेंडी (धुलंडी) के रूप में भी जाना जाता है।
होली के दिन होलिका की पूजा की जाती है छोटी होली की शाम को पूजा समय के अनुसार, एक थाली में थोडी सी हलदी, रोली, चावल जो टूटे नहीं हैं जिसे अक्षत भी कहा जाता है, दूध, कलश में जल, सफेद धागा, मूंग, बताशा, गुलाल पाउडर और नारियल और बूट लें। इसमें कुछ पैसा भी रख दें
पूजा करते समय उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बैठना चाहिए।
इस पर्व पर दाल मूंग छिलका, चावल, पापड़, रेवडी, गजक, चीनी और गुड़ आदि की मिनसाई व् बांटी जाती है. इस दिन पर नई बहु या लड़के के जनम होने पर उजमन करते है. उजमन को वये भी कहा जाता है. यदि आप उजमन कर रहे हैं तो इसमें पहले पितरो का सामान निकला जाता है. बेटी की शादी के पहले वर्ष में उसकी ससुराल में भी सामान भेजा जाता है जिसमे हरा भरा टोकरा आवश्यक होता है और वायना भी निकला जाता है.
इस पर्व पर बेटे बहु दामाद पोते धेवते की कंडी चढाई जाती है. बहु व् दामाद की कंडी कुंवारे नाते व् शादी के पश्चात चढाई जाती है जिसमे कंडी, मिठाई रंग गुलाल आदि भेजे जाते है
होलिका दहन के स्थान पर जाएं और इन चीजों के साथ पूजा करें, हल्दी से स्वस्तिक बनाया जाता है. उस पर आटा गुड़ व् जल चढ़ाया जाता है. लोग मंत्रों का उच्चारण भी करते हैं,भगवन विष्णु का ध्यान करते हुए व् फिर कच्चे सूत के तीन / पांच / सात फेरे लेते हुए व् चारों ओर धागा बांधते हुए फिर कच्चे सूत के तीन / पांच / सात फेरे लेते हुए व् चारों ओर धागा बांधते हुए थाली में रखी सभी सामग्री को होलिका की अग्नि में अर्पित करें। यानि होलिका पर सात वर सूत लपेटे जाता है. होलिका दहन के बाद बूट और गेहूं के बाल भुने जाते हैं.
जब घर वापस आएं तो परिवार में सभी को बूट दें और बड़ों से आशीर्वाद लें और छोटों से प्यार करें तो यह पूजा करने वालों के लिए शुभकामनाएं और आशीर्वाद के सामान होता है।
उसके बाद होलिका जलाई जाती है। आमतौर पर होलिका जलाने के वाद उस अग्नि में से कुछ अग्नि को घर लाया जाता है। अगली सुबह, गीली होली के दिन, होलिका दहन की राख एकत्र की जाती है और मस्तक पर तिलक भी लगाया जाता है। होलिका के राख को पवित्र माना जाता है और यह माना जाता है कि इसे लगाने के बाद शरीर और आत्मा को शुद्ध किया जाता है।
इस दिन घर की महिलायें व्रत भी करती हैं और होलिका दहन की पूजा के बाद ही व्रत खोलती हैं.
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